Mahalakshmi Stotram

महालक्ष्मी अष्टक स्तोत्र | Mahalakshmi Ashtakam

महालक्ष्मी अष्टक स्तोत्र Mahalakshmi Ashtakam माँ भगवती महालक्ष्मी को समर्पित स्तुति है। इस स्तोत्र में 11 श्लोक हैं, जिनमें से प्रथम 8 श्लोकों में माँ लक्ष्मी की स्तुति की गई है, अंत के 3 श्लोकों में फलश्रुति (इससे मिलने वाले फल) का वर्णन किया गया है।

देवि महालक्ष्मी की यह स्तुति पद्मपुराण से ली गई है । देवराज इन्द्र ने इस स्तोत्र का भक्ति पूर्वक पाठ किया था जिसके फलस्वरूप उन्हें राज्य लक्ष्मी पुनः प्राप्त हुई थी।

जैसे इन्द्र को लक्ष्मी मिली उसी प्रकार इसका नित्य पाठ करने वाले को माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है। अगर आप शत्रुओं से परेशान हैं तो आपको शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। तथा धन संपदा की प्राप्ति होती है।

माँ लक्ष्मी को यह स्तोत्र अत्यंत प्रिय है, इस स्तोत्र का अगर आप प्रतिदिन श्रवण भी करते हैं तो भी माँ लक्ष्मी की अपार कृपा आपको प्राप्त होती है और आपके जीवन से आर्थिक समस्याएं समाप्त होने लगती हैं, सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है, सभी प्रकार के भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। व्यापार में, नौकरी में जो भी आप अपने धनार्जन के लिए कर रहे हैं उसमें आपको सफलता मिलती है।

इस महालक्ष्मी अष्टक Mahalakshmi Ashtakam स्तोत्र का प्रातः काल पाठ करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है, संध्याकाल के समय पाठ करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। तथा तीनों काल में इसका पाठ करने से शत्रुओं का शमन होता है।

Mahalakshmi Ashtakam

महालक्ष्मी अष्टक स्तोत्र | Mahalakshmi Ashtakam

-इन्द्र उवाच –

नमस्ते महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोस्तुते।। (१)

देवी महालक्ष्मी की स्तुति करते हुए इन्द्र बोले – श्रीपीठपर स्तिथ और देवताओं से पूजनीय हे महामाये आपको प्रणाम है। अपने हाथों में शंख, चक्र और गदा धारण करने वाली हे महालक्ष्मी आपको नमस्कार है।  

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते।। (२)

गरुड पर आरूढ़ होकर कोलासुर को भय देने वाली (कोलासुर नामके राक्षस का संहार करने वाली) और समस्त पापों को हरने वाली हे भगवति महालक्ष्मी आपको नमस्कार है।

सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि।
सर्वदु:खहरे देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते।। (३)

सब कुछ जानने वाली, सबको वरदान देने वाली, समस्त दुष्टों को भय देने वाली और सभी प्राणियों के दु:खों को दूर करने वाली, हे देवि महालक्ष्मी आपको नमस्कार है।

सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते।। (४)

सिद्धि, बुद्धि, भोग और मोक्ष देने वाली हे मंत्रपूत (मंत्रों द्वारा जिनकी पूजा होती है) भगवति महालक्ष्मी आपको सदा नमस्कार है।

आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।
योगजे योगसंभूते महालक्ष्मि नमोस्तुते।। (५)

हे देवि ! हे आपका न आदि (आरंभ) है न अंत है, आप संसार की कारणभूत आदिशक्ति हो ! हे महेश्वरी ! हे योग से प्रकट हुई भगवति महालक्ष्मी ! आपको नमस्कार है ।  

स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्तिमहोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते।। (६)

हे देवि ! स्थूल (विशाल), सूक्ष्म और महारौद्ररूपिणी हो, महाशक्ति हो, महोदरा (परम कृपालु) हो और बड़े से बड़े पापों का नाश करने वाली हो । हे देवि महालक्ष्मी आपको नमस्कार है।  

पद्मासनस्थिते देवि परब्रम्हस्वरूपिणि।
परमेशि जगत् मात: महालक्ष्मि नमोस्तुते।। (७)

हे कमल के आसन पर विराजमान होने वाली परब्रम्हस्वरूपिणी देवि! हे परमेश्वरि! हे जगत माता! हे महालक्ष्मी! आपको मेरा नमस्कार है।

स्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते।
जगत्स्थिते जगत् मातः महालक्ष्मि नमोस्तुते।। (८)

हे देवि! आप स्वेत वस्त्र धारण करने वाली और नाना प्रकार के सुंदर आभूषणों से शोभायमान हो। सम्पूर्ण जगत में व्याप्त एवं सम्पूर्ण लोकों को उत्पन्न करने वाली हो। हे महालक्ष्मी! आपको मेरा नमस्कार है।  

महालक्ष्म्यष्टकं स्तोत्रं यः पठेत्भक्तिमान्नर:।  
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।। (९)

जो मनुष्य भक्तिपूर्वक इस महालक्ष्मी अष्टक स्तोत्र का सदैव पाठ करता है, वह माता महालक्ष्मी की कृपा से समस्त सिद्धियों और राज्यवैभव को प्राप्त कर सकता है।

एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकाले यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वित:।। (१०)

जो मनुष्य प्रतिदिन एक समय इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसके बड़े से बड़े पाप नष्ट हो जाते हैं। जो दो समय इसका पाठ करता है वह धन-धान्य से सम्पन्न हो जाता है।

त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ।। (११)

जो प्रतिदिन तीन काल पाठ करता है, उसके महान शत्रुओं का नाश हो जाता है और उसके ऊपर कल्याणकारिणी वरदायिनी माता महालक्ष्मी सदा ही प्रसन्न रहती हैं

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महालक्ष्मी अष्टक स्तोत्र के लाभ | Mahalakshmi Ashtakam Benefits

श्रद्धा पूर्वक इस स्तोत्र का पाठ करने से माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इस चमत्कारिक स्तुति का नियम पूर्वक स्तवन करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं ।

  1. इस महालक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
  2. इस कल्याणकारी स्तोत्र को “दरिद्रता नाशक स्तोत्र” भी कहा जाता है। यह आर्थिक तंगी दूर करता है।
  3. इस लक्ष्मी अष्टक का नियमित पाठ करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, ग्रह दोष और वास्तु दोष दूर होता है ।
  4. यह स्तोत्र व्यापार में उन्नति, नौकरी में पदोन्नति और आय के नए साधन प्रदान करता है।
  5. इस स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को ऋण (कर्ज़) से छुटकारा मिलता है।
  6. मन को शांत रखने वाला तथा सौभाग्य को प्रदान करने वाला ये अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है ।

इस स्तोत्र का भी पाठ करें – श्री भगवती स्तोत्र

पाठ करने की विधि:

स्नान करके, शुद्ध वस्त्र पहनकर माँ लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र सामने रखें, फिर दीपक जलाकर शांत मन से इस स्तोत्र का पाठ करें।

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